खबर यह है
महाराणा !
मेवाड़ बिक गया |
घास की रोटियाँ खाते -खाते
ऊब गए थे तुम्हारे बच्चे
पीजा और बर्गर का स्वाद
लुभा रहा था उन्हें
देखने लगे थे वे भी
भविष्य के सुनहरे सपने
भामाशाह ने
जिस दिन तुम्हारा साथ छोड़कर
बहुराष्ट्रीय कंपनियों में
अपनी पूँजी लगायी थी
तुम्हारे बच्चे बागी हो गए थे
इतिहास बनाने में
उनकी दिलचस्पी नहीं थी
वे बनना चाहते थे
भविष्य का सुनहला सूरज
उनके कान्वेंट के साथी
चमक रहे थे सितारों की तरह
तब कैसे भाता उन्हें
जंगलों का अँधेरा ?
प्रताप !
प्रसिद्धि पाने के लिए
उन्होंने तुम्हारा प्रताप ही तो बेचा है
आखिर नाम में रखा भी क्या है ?
अब कोई भी किसी के नाम को
कहाँ रोता है ?
जब सूरज पश्चिम से निकलता है
तो यही होता है |
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