Monday 14 January 2013

दामिनी के लिए

जिस दिन तुम जन्मी
क्यों नहीं बताया तुम्हारी माँ ने
दुनिया की असलियत
और यह सच्चाई
कि सूरज से चाँदनी नहीं मिलती
और रात से रौशनी |
राम और भीष्म की औलादें
नहीं किया करतीं
अग्नि परीक्षा और वस्त्रहरण का विरोध |
ओ मेरी बच्चियों सुनो ,
तुम धूप में तप लेना
पर उन पीपल और बरगदों की
छाया में मत जाना
जहाँ गिद्धों का बसेरा है |
सरकारी अभयारण्यों को
चिंता है सिर्फ गुम होते बाघों , शेरों और चीतों की
चिड़ियों की लुप्त होती प्रजातियाँ
उनकी चिंता का विषय नहीं है
इसलिए तुम शेरनी बनना
धार देते रहना अपने दांतों और नाखूनों को
कि भेड़िये तुम्हें घेर न सकें
सावधान रहना हर पल संभावित खतरों से |
न्यायपालिका से न्याय की अपेक्षा मत करना
लोकतंत्र के लोकनायकों के पास
अपनी बेटियों के बलात्कारियों के लिए भी
कोई दण्ड विधान नहीं है |
मत दिखाना कभी धृतराष्ट्रों को
अपने जख्मों के निशान
अंधे कर भी क्या सकते हैं ?
तुम्हें अपनी लड़ाई स्वयं लड़नी होगी
उठो , तैयार हो जाओ
वज्र बनो , ज्वालामुखी बनो ,
सुनामी बनो , कुछ भी बनो
पर लड़की की पारंपरिक परिभाषा तोड़ो
ओ मेरी बेटियों ! डायनामाइट बनो
उन्नत पर्वतों का वक्ष फोड़ो
ध्वस्त करो उन्हें जो तुम्हारे जीवन को
उन्मुक्त निर्झर नहीं बनने देते
धरती की तरह रौंदी जाओगी
आखिर कब तक ?
ओ मेरी दामिनियों चलो ,
फौलाद बनो , अपनी राहों को
नई दिशाओं की तरफ मोड़ो |