Monday 19 December 2011

सन्मार्ग १८ दिसंबर २०११ में प्रकाशित कवि डॉ . अभिज्ञात द्वारा लिखित मेरे कविता संग्रह ' आकाश की हद तक ' की समीक्षा

आकाश की हद को पार करती कविताएँ

'आकाश की हद तक 'नीलम सिंह  का पहला काव्य संग्रह है | हालाँकि वे बचपन से लिखती रही हैं और इस अवधि में विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं में उनकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैं जिसके कारण काव्य जगत उनकी रचनाशीलता  से परिचित है |इस संग्रह से गुजरने के बाद पाठक के मन में उनकी रचनाशीलता के प्रति यह आश्वस्ति बोध होता है कि वे न सिर्फ एक संवेदनशील कवयित्री हैं बल्कि कविताओं में धार और बदलाव की अदम्य आकांक्षा है जो उनके रचे को व्यापक जनसमुदाय से जोड़ता है | उनकी कविताओं में घर - बाहर के बीच लगातार आवाजाही बनी रहती है और बाहर की दुनिया के लोगों की दुःख - तकलीफ उनकी अपनी व्यथा  - कथा से कतई अलग नहीं रहती | माँ के प्यार की नमी इस संग्रह की कई कविताओं में है और उनकी  कविताओं की दुनिया की कल्पना माँ की चर्चा के बिना लगभग असंभव लगती है | माँ की लोरियों की अनुगूँज अगर किसी कवि में लगातार बनी रहे तो उसका रचना-संसार अपने आप आत्मीय हो उठेगा , यह कहने में कोई हिचक नहीं | माँ को लेकर शायर मुनव्वर राना ने बेहतरीन शेर कहे हैं और उनकी जो व्यापक पहचान बनी है उसमें माँ से जुड़े मुद्दों का योगदान बहुत है | नीलम  सिंह की कविताएँ पढ़कर उनकी याद बरबस हो आती है | नीलम स्त्रियों के वजूद को पुरुषों से कमतर आँके जाने को स्वीकार नहीं करतीं और व्यापक अर्थों में स्त्री के अस्तित्व , उसकी शक्ति ,उसके आत्मसम्मान की पुरअसर अभिव्यक्तियाँ उनकी कई कविताओं में पूरी साहसिकता और शिद्दत से उपस्थित हैं | यह ऊर्जा का अक्षय श्रोत उन्हें ' माँ की विरासत ' के तौर पर मिला है | ' माँ की विरासत ' कविता में वे कहती हैं - 'एक शब्द कोष था / जिसमें बेटे - बेटी का अर्थ एक था / एक धरती थी मेरे पैरों के लिए / एक आकाश था मेरी मुट्ठियों के लिए / गहनों की पिटारी में रखे थे /अस्मिता और आत्मविश्वास जैसे शब्द / तुमने कुछ गुनगुनाया मेरे लिए / वह कविता आज भी खड़ी है मेरे साथ | ' उनकी कविताओं में माँ की ही बातें नहीं हैं बेटियों की भी बातें हैं , जिनकी मुश्किलों और हौसलों के साथ वे निरंतर बनी हुई हैं | उनके लिए कविता केवल  कोमल भावों को  व्यक्त करने  वाली विधा नहीं  है बल्कि उन्हीं के शब्दों में - ' मजबूत हाथ है कविता / जीती  जा सकती  है जिससे / बड़ी से बड़ी जंग ......समुद्र का विस्तार है / जो गुंजित कर सकती है पूरे ब्रह्माण्ड  को /वह  झंकार है  कविता | ' उनकी कविता में पीछे छूट गए गाँव की स्मृतियाँ और उसकी खुशबू है जो अपना  सम्मोहन पैदा करने में कामयाब है साथ ही  वैश्विक स्तर पर गरीब मुल्कों को और गरीब करने की साजिशों की खोज खबर भी है जो उनके रचनात्मक कैनवास के व्यापक होने का परिचायक है |