Monday 1 December 2014

माँ के लिए-








तुम्हारे स्नेह का निर्झर , तुम्हारा दूधिया आँचल
तुम्हारी भावना कोमल तुम्हारी साधना निश्छल
 मुझे तारों की छाया में भी हर पल याद आती है
ये आँखें मुस्कुराती हैं ।
ये ममता जब तुम्हारी लोरियाँ मीठी सुनाती  है
तरन्नुम से तुम्हारे मौत को भी नींद आती है
तुम्हारी वेदना होठों पे मेरे गुनगुनाती है
ये आँखें मुस्कुराती हैं ।
तुम्हीं ने आँख की बारिश में सावन को बुलाया था
पुराने नीम पर झूला मेरी खातिर लगाया था
वो सपनों का हिंडोला आज भी ख्वाबो में आता है
ये आँखें मुस्कुराती हैं ।
वो परियों की कहानी और बातें चाँद तारों की
तुम्हारी साँस  में बसती थी खुशबू वो बहारों की
हमारी आँख के जुगनू , तुम्हारी आँख का काजल
हमारे मन की माटी और तुम्हारे प्यार का बादल
तुम्हारी दी हुई चूड़ी , तुम्हारी दी हुई बिंदिया
वो कजरौटा तुम्हारा और तुम्हारी दी हुई गुड़िया
वो सौगातें मोहब्बत की मुझे फिर याद आती हैं
ये आँखें मुस्कुराती हैं । 

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