Tuesday 8 July 2014

और वह पहाड़ बन गई …..



जब - जब तुमने  उसे रौंदना  चाहा धरती की तरह
वह  ऊपर उठी और आसमान बन गई
उसकी आँखों  में उगने लगे सपनों के इंद्रधनुष |
उसकी दृष्टि में तुमने उतार देना चाहा गहरा अँधेरा
 और वह खिलकर सुनहली  धूप  बन गई |
तुम बनाना चाहते थे उसे समतल खेत
कि उगा सको उसमें मनचाही फसलें
और वह पहाड़ बन गई |
तुमने उसे बनाना चाहा एक क्षीण रेखा जैसी नदी
कि सींचती रहे वह तुम्हारे भीतर का मरुस्थल

और वह समुद्र बन गई

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