जब - जब तुमने उसे रौंदना चाहा धरती की तरह
वह ऊपर उठी और आसमान बन गई
उसकी आँखों में उगने लगे सपनों के इंद्रधनुष |
उसकी दृष्टि में तुमने उतार देना चाहा गहरा अँधेरा
और वह खिलकर सुनहली धूप बन गई |
तुम बनाना चाहते थे उसे समतल खेत
कि उगा सको उसमें मनचाही फसलें
और वह पहाड़ बन गई |
तुमने उसे बनाना चाहा एक क्षीण रेखा जैसी नदी
कि सींचती रहे वह तुम्हारे भीतर का मरुस्थल
और वह समुद्र
बन
गई
।
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