Tuesday 4 August 2015

सपने कभी मरते नहीं




अभी-  अभी हिमालय के उन्नत शिखरों पर
उन्हें देखा है मैंने सफ़ेद बादलों के बीच
सूरज की सुनहली किरणों से
बरस रहा था उनका नूर
गंगा - यमुना की लहरों में  
गूँज रहा था उनकी साँसों का संगीत
पारिजात के ताजा फूलों से   
झाँक रहा था उनका मुस्कराता चेहरा
मासूम बच्चों के होठों पर
चमक रहे थे वे दूधिया हँसी की तरह
युवाओं  के जोश में , उमंगों में
उनकी  महत्वाकांक्षाओं में ,
उनके संकल्पों में ,उनके सपनों में ,
वे दिख रहे हैं मुझे बार - बार
और सपने कभी मरते नहीं
कलाम ! हमारे दिलों में
धड़कते रहेंगे एक ख्वाब बनकर
मानवता जब तक ज़िंदा रहेगी ,
ज़िंदा रहेंगे कलाम भी  



No comments:

Post a Comment